मानव की भौतिक इच्छाओं की लालसा से प्रेरित होकर हमारे आर्य ऋषियों नें, ध्वनि समायोजन कर के, भाषा को मंत्रों का स्वरूप प्रदान किया था, जिसे कि आज हम रूढिवादिता मान बैठे हैं।
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मानव की भौतिक इच्छाओं की लालसा से प्रेरित होकर हमारे आर्य ऋषियों नें, ध्वनि समायोजन कर के, भाषा को मंत्रों का स्वरूप प्रदान किया था, जिसे कि आज हम रूढ़िवादिता मान बैठे हैं।